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मिच्छामी दुक्कड़म/ उत्तम क्षमा का हिन्दी अर्थ, Micchami  Dukkadam/Uttam Kshama Meaning 

जीवन शैली

“मिच्छामी दुक्कड़म” का शाब्दिक अर्थ है, अगर आपने किसी को भी चाहे वह आपके जानने वाले हो या फिर दोस्त रिश्तेदार उनके साथ जान कर या अनजाने में, गलती से या जानबूझ कर उनको कष्ट पहुँचाया हो या कोई गलती हो गई हो उसके लिए उनसे क्षमा प्रार्थी है ।

क्यूकी अपने व्यवहार से कई बार हम अपने प्रियजनों को ऐसा कुछ कह जाते है जो की उनको बुरा लग जाता है । अपनी इस तरह की जाने अनजाने में दिल दूखाने की गलती की क्षमा मांगी जाती है । 

“मिच्छामी दुक्कड़म” और “क्षमादिवस” पर्व जैनियों का पर्व होता है। जिसमे वह अपनी गलती के लिए सभी से क्षमा मांगते है ।  

दुक्कड़म sorry  कह देने से कहीं ज्यादा होता है।  sorry  तो हम हर बात के लिए कह जाते है और उसका ऐसा कोई खास असर भी नहीं पड़ता। 

बल्कि, किसी गलती को अपने तहे दिल से अपनी बातों के लिए, अपने विचारों के लिए, अपने आक्रमण के लिए, जानबूझकर या अनजाने में किसी भी गलती के लिए हम क्षमा प्रार्थी होते हैं।  तो उसके लिए मिच्छामि दुक्कड़म कहा जाता है।  

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Payurshan Parv : Jain Dharm Me Kyu Khate He Micchami Dukkadam | पयुर्षण पर्व : जैन धर्म में क्यों कहते हैं मिच्छामी दुक्कड़म्

पर्युषण पर्व एक ऐसा जैन धर्मों का त्यौहार है जिसमें की पूजा, अर्चना, आरती, समागम, त्याग, तपस्या ,उपासना आदि सभी गतिविधियों  में लोग अपना अधिक से ज्यादा समय व्यतीत करते हैं। 

इस पर्व के आखिर के दिन में “काशमाली दिवस” यानी कि क्षमावाणी दिवस मनाया जाता है।  जिसमें  “मिच्छामि दुक्कड़म” कहकर क्षमा प्रार्थना की जाती है।

खासतौर से पर्युषण पर्व जैन भगवान महावीर स्वामी से प्रेरित है उनके मूल सिद्धांत पर चलते है, जिसमें कि उन्होंने कहा है कि “अहिंसा परमो धर्मा”,के पथ पर अग्रसर किया है। 

अगर हम किसी के साथ बुरा करते हैं किसी का दिल दुखाते हैं तो उसका फल हमें जरूर मिलता है परंतु अगर हम जानते हैं कि हमने उस इंसान के साथ गलत किया है या उसे दुख पहुंचाया है उसे “मिच्छामी दुक्कड़म” कहते हैं और क्षमा प्रार्थी होते हैं। 

तो इससे हमारे कष्ट और हमारी सजा जो भगवान द्वारा दी जाएगी को काफी कम कर देते है क्यूकी हम तहे दिल से उसके आगे क्षमाप्रार्थी है और इससे हमारे मन में भी निर्मलता तथा पावनता आती है । 

इस दिन की  जैन धर्म के लोगों के लिए सच में अपनी महत्ता होती है। क्योंकि इस  दिन लोग अपना घमंड त्याग कर, अपना ओहदा, अपनी उपाधि सब कुछ भूल कर अपने से छोटे या अपने बराबर या अपने से बड़ों से क्षमाप्रार्थी होते हैं किसी भी अनजाने या जानबूझकर किए कृत्य के लिए नतमस्तक रहते है।  

Micchami Dukkadam/ Uttam Kshama Message: इन मिच्छामी दुक्कड़म्/ उत्तम क्षमा संदेश को भेजकर मनाएं क्षमावाणी पर्व

1. सुरज जैसे अंधेरा दूर करे,
पानी जैसे प्यास दूर करे वैसे ही पर्युषण क्षमावाणी पर्व पर
आप हमारी सारी गलतीयों और भूल-चुक को क्षमा करे.

उत्तम क्षमा

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2. नवकार मेरी सांस है जैन धर्म मेरा विश्वास है ,
गुरुदेव मेरे प्राण है , मोक्ष कि मुझे तलाश है ,

उत्तम क्षमा

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3. धूल अगर चाहे तो अबीर हो जाये, रेशम अगर चाहे तो जंजीर हो जाए !
आवश्यकता है आदर्शों के परिपालन की !
इंसान अगर चाहे तो महावीर हो जाए

उत्तम क्षमा

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4. “महापर्व पर्युषण हमें मौका देता है की हम अपने बुरे कर्मो और विचारों के लिए सब से
क्षमा मांगे और अच्छा जीवन व्यतीत करें।”तप अगर हम कर न सके तो, तप का बहुमान कर के देखो।

कट जायेंगे कर्म भी उससे, तपस्वी की अनुमोदना कर के देखो।

उत्तम क्षम

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5. “महापर्व पर्युषण हमें मौका देता है की हम अपने बुरे कर्मो और विचारों के लिए सब से
क्षमा मांगे और अच्छा जीवन व्यतीत करें।”

उत्तम क्षमा

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6. “संवत्सरी के शुभ दिन पर में इस धरती के हर जीव को हाथ जोड़ कर माफी माँगता हूं

और सबकी क्षमा स्वीकार करता हूं…

उत्तम क्षमा

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7. “महापर्व पर्युषण के दिन में सब से, तहे दिल से क्षमा याचना करता हूँ

कि अगर मैंने आपको किसी भी तरह प्रकार से कोई भी कष्ट दिया हो तो…

उत्तम क्षमा

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8. “यदी मैंने मन, कर्म और वचन से आपको जरासी भी ठेस पहुचाई हो तो,

संवत्सरी के पावन पर्व पर मुझे क्षमा करें…।

उत्तम क्षमा

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9. बीते दिनोंमें मेरे किसी व्यवहार से
आपका दिल दुखा हो तो उसके लिए
मैं हाथ जोड़कर आपसे क्षमा चाहती हूँ, कृपया क्षमा कर अनुग्रहित करे.

उत्तम क्षमा

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10. जीवन यात्रा में चलते चलते स्वार्थ, मोह, अज्ञानतावश
हुई भूलो के लिए… सच्चे स्वच्छ ह्रदय से…
क्षमायाचना करते हुए…

उत्तम क्षमा

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11. छोटा सा संसार, गलतियां अपार,
आपके पास है क्षमा का अधिकार,
कर लीजिए निवेदन स्वीकार
खमावां बांरबार

उत्तम क्षमा

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12. जैन धर्म का नगीना, है ये पर्युषण पर्व हर जैनी को नाज है,
होता इसपे गर्व जैनम जयति शासनम,
गूंजे यही वाणी जीवदया जैन धर्म में,
जाने सबका मर्म

उत्तम क्षमा

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13. नवकार है मेरी साँसे, जैन धर्म विश्वाश तीर्थकर वो करुणाकर,
उससे मेरी आस है दुनियाँ नाव ग़मों की,
वो है तारणहार मेरा प्रभु मेरे मन में, वो ही मेरा है ख़ास

उत्तम क्षमा

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14. ऐसी वाणी क्या बोले जो,
मनको बड़ा सताए द्वेष आग में खुद जले,
औरो को भी तडपाए मीठा बोलो ऐसे की,
हर मन अमृत घोले गैरो से भी बात हो तो,
अपना वो बन जाए

उत्तम क्षमा

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15. लाख करोड़ी माया तेरी,
यही पड़ी रह जानी योगी ही ये समझ सके,
तू क्या समझे जिनवाणी मेरा तेरा करते रहना,
है सबसे बड़ी नादानी बैर भाव त्याग रे बन्दे,
छोटी सी है जिंदगानी

उत्तम क्षमा

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Michhami Dukkadam/ Uttam kshama Images

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